इसलिए उज्जैन में होता है सिंहस्थ 

देवता और राक्षसो ने समुद्र मंथन किया था । मंथन के दौरान अमृत का घड़ा मिला था । यह अमृत राक्षस नहीं पी ले ,इसके लिए देवता इस घड़े को लेकर भागे थे । घड़े को लेकर देवता 12 दिन तक भागते रहे थे । यह १२ दिन ही 1 वर्ष के बराबर थे । इन्ही दिनों में चार स्थानो पर अमृत की बुंदे छलकी  थी । इसमे से एक क्षिप्रा नदी में गिरी थी । इसलिए यहाँ पर कुम्भ की प्रथा शुरू हुई । चूकि उज्जैन मे कुंभ सिंह राशि मे लगता है  , इसलिए  इसे सिंहस्थ कहा गया ।

 


एक  हजार बार कार्तिक स्नान बराबर सिंहस्थ स्नान :
सिंहस्थ में नहान की महता है । स्कंद पुराण में सिंहस्थ स्नान की बड़ी  महता बताई हैं । एक व्यक्ति एक हजार बार कार्तिक स्नान ,100 माघ स्नान व वैशाख मास में करोड़ नर्मदा स्नान के बाद जो पुण्य मिलता हैं वह एक सिंहस्थ स्नान स्नान में मिलता है ।














कुंभ व अर्द्धकुंभ :
देशभर में 12 वर्ष में पांच बार कुंभ ,सिंहस्थ और अर्द्धकुंभ लगता हैं । इसमें हरिद्धार ,उज्जैन नासिक में 12 वर्ष
में  एक बार तथा इलाहाबाद में 6 -6 वर्ष में अर्द्धकुंभ लगता हैं । उज्जैन और नासिक में होने वाले कुंभ को सिंहस्थ कहते है ।





 सिंहस्थ पर्व की संभावित तिथियां
                                                                                                                        
1. महापर्व का आरंभ  चैत्र  शुक्ल  15 शुक्रवार २२ अप्रैल 2016 
पंचेशानि यात्रा का आरंभ वैशाख कृष्ण 9
वैशाख कृष्ण 30  
रविवार
 शुक्रवार 
01 मई 2016
06 मई 2016 
मेष के सूर्य और चंद्र के साथ
सिंह के गुरु का ,महत्वपूर्ण योग  
वैशाख कृष्ण30  शुक्रवार 06 मई 2016 
अक्षय तृतीया वैशाख कृष्ण 3 सोमवर 09 मई 2016 
शंकराचार्य जयंती वैशाख शुल्क 5 बुधवार 11 मई 2016 
मोहिनी  एकादशी वैशाख शुक्ल 11 मंगलवार 17 मई 2016 
प्रदोष वैशाख शुकल 13 गरुवार 19 मई 2016 
प्रमुख शाही स्नान वैशाख शुक्ल शानिवार 21 मई 2016

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