सप्तसागर  यात्रा 


स्कंद पुराण मे  अवन्ति खंड के अनुसार , अवंतिका  (उज्जैन) मे सप्तसागर के अस्तित्व के बारे में बताया गया है मराठा के समय से , सप्तसागर के नाम इस प्रकार है  , रुद्रसागर , पुष्करसागर ,गोवर्धनसागर , पुरूषोत्तमसागर ,विष्णुसागर ,क्षीरसागर ,रत्नाकरसागर , यह  सागर जल की  पवित्रता और हिन्दू  रीति रिवाज की अनुभूति के बिंदु है और उज्जैन शहर का गौरव बढ़ते  है , हर सागर मे दान का अपना एक  अलग महत्व हैं 


1 . रुद्रसागर  : यह सागर श्री महाकाल मंदिर  के पीछे और हरसिद्धि मंदिर के ठीक सामने  स्थित है यह  सप्तसागर में प्रमुख है


               दान : सफ़ेद कपडे मे खड़ा नमक बाँधकर  और चांदी का बैल 


2 .   विष्णुसागर : यह सागर , श्री राम जनार्दन मंदिर के पूर्व में अंकपात मार्ग पर स्थित है 


                 दान : श्री विष्णु भगवान की मूर्ति , गीताजी की बुक ,  आसान ,जप की माला , तांबे  का तरबाना ,   गो मुखी , पुजा की घण्टी 



3.  क्षीरसागर :  अवन्ति खंड में इस सागर को प्रमुख बताया गया है , यह सागर एक बड़े कुण्ड के रुप में है ,रेलवे      स्टेशन से नई सड़क मार्ग पर कंठाल  क्ष्रेत्र  मे 


                     दान : स्टील की ग्लास में दुध की खीर 


4 . गोवर्धन सागर : यह सागर निकास चौराहा के पूर्व और नगर कोट की रानी के दक्षिण पश्चिम दिशा मे
           दान : स्टील की कटोरी में मक्खन और मिश्री 

5 . पुरषोत्तमसागर : यह सागर गायत्री शक्त्ति पीठ  के सामने , अंकपात मार्ग पर   


                      दान : स्टील के थाली में १६ मालपुए , लाल कपडे के साथ       

     


6 . रत्नाकर सागर : यह सागर उज्जैन से १०-१२ किलोमीटर दूर ,मक्सी रोड पर उड़ासा के तालाब पर , माधवपुर  गॉव के पास 


                     दान : टोकरी में सुहाग की सभी वस्तु 


7 . पुष्कर सागर : यह सागर रुद्रसागर से सखीपुरा से   उत्तर दिशा मे 

                   दान : चने के दाल को पीले कपडे में बांधे , सोने का दान 


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